Saturday, October 18, 2008

यदि आप चाहते हैं की दूसरे लोग आपके ऊपर भरोसा करें तो इसका सबसे सुलभ और सुनिश्चित उपाय यह है कि आप अपने ऊपर भरोसा करें। दुनिया में ऐसे अनेक मनुष्य हैं जिन पर कोई भरोसा नही करता है, उन्हें गैर-जिम्मेरदार और बे-पैंदी का समझा जाता है, तथा जगह-जगह से दुत्कारा जाता है। ऐसे मनुष्य अपने आप के प्रति अविश्वासी होते हैं। उनके चेहरे से, भावभंगिमा से, वाणी से यह स्पष्ट रूप से प्रकट होता रहता है कि वे अपने आप के ऊपर भरोसा नही करते हैं।

बहार के मनुष्य हमे उसी नाम से पुकारते हैं जो हमे उनके सामने प्रकट करते हैं। जब हमारी भावभंगिमा और वाणी से दीनता, तुच्छता, असमर्थता, निराशा, निर्बलता, प्रकट होती है तो तुंरत ही दूसरे लोग भी हमे वैसा ही मान लेते हैं और तदनुसार ही हमारे साथ व्यव्हार करते हैं। जो लोग साहस पूर्वक किसी कार्य को करने के लिए खड़े होते हैं और घोषित करते हैं कि हम इस काम को पुरा करेंगे, देखा गया है कि वे
लोग सफल हो भी जाते हैं. इश्वर मर्दों का मददगार होता है. वह उन लोगों की सहायता भी करता है जो अपनी सहायता आप करने को तत्पर होता है.
आपके सामने आज जो कार्यक्रम है, उसे पूरी दिलचस्पी के साथ पूरा करने का प्रयत्न कीजिये. अपनी योग्यता, बुद्धिमत्ता और कार्यकुशलता को पूरा भरोसा रखिये सारी शक्ति को एकत्रित करके अपने उद्द्येश्य को पूरा करने में इस प्रकार प्रवृत्त होइए, मनो सफलता प्राप्त करने के लिए आपने प्राणप्रण से निश्चय कर लिया है. छ्छोरपन और हीनता वाणी बोलना छोडिये तथा गंभीरता, उत्साह, आशा एवं दृढ़ता के साथ कार्य करना सीखिए.
इस दुनिया में सफलता उसी को मिलती है, जो आत्मविश्वासी होता है.

(द्वारा: अखंड ज्योति)

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